….ताकि स्कूल न छोड़े कोई भी बच्चा

नई शिक्षा नीति-2020ः बच्चों की ड्राॅप आउट समस्या पर फोकस

-स्कूल छोड़ चुके बच्चों की वापसी का भी है किया गया प्रावधान

देहरादूनः स्कूल का अस्तित्व बच्चों से है। बच्चे ही नहीं रहेंगे तो विद्यालय भवन, शिक्षक, पुस्तकालय, शौचालय, खेल मैदान, प्रयोगशाला किसके लिए? इसलिए नई शिक्षा नीति-2020 में इस बात पर फोकस किया गया है कि विद्यालयों में बच्चों का नामांकन अनिवार्य रूप से हो। बच्चे ड्राॅप आउट(बीच में ही पढ़ाई छोड़ जाना) न हों और जो बच्चे ड्रॅाप आउट हो गए, उनकी वापसी का भी प्रावधान किया गया है। सारांश यह कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रह पाए।
वर्ष 2017-18 में एनएसएसओ के 75वें राउंड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार 6 से 17 वर्ष के बीच की उम्र के विद्यालय न जाने वाले बच्चों की संख्या 3.22 करोड़ है। यानी प्राथमिक से बारहवीं तक की पढ़ाई की उम्र के इतने बच्चे स्कूल नहीं जा पाए। इसके अलावा ऐसे भी बच्चे हैं, जो कुछ साल जाने के बाद स्कूल छोड़ जाते हैं। प्रायः देखा जाता है कि किसी गांव, कस्बे, शहर में स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर बच्चों का नामांकन तो ठीकठाक होता है, लेकिन आठवीं, दसवीं, बारहवीं तक पहुंचते-पहुंचते इन बच्चों की संख्या कम होती जाती है। इसके कारण हैं- स्कूलों का अभाव या बहुत दूर होना, बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुचि न लेना, फेल होना, अभिभावकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई को गंभीरता से न लेना, अभिभावकों द्वारा शिक्षा का महत्त्व न समझना, स्कूलों में अपेक्षित सुविधाएं न होना तथा गरीबी इत्यादि। नई शिक्षा नीति में सरकार इन कारणों की तह तक गई है। नीति में इन समस्याओं के समाधान के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रह पाए। बच्चों का विद्यालय में नामांकन ही नहीं, उसका स्कूल नियमित रूप जाना भी सुनिश्चित किया गया है। नीति में यह बात यह बात बहुत कुछ कहती है-’’स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्राथमिक लक्ष्यों में हमें यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों का स्कूल में नामांकन हो और उन्हें नियमित रूप से विद्यालय भेजा जाए।’’
यही नहीं, जो बच्चे किन्हीं कारणों से बीच में ही स्कूल छोड़कर चले जाने के कारण पढ़ नहीं पाए, उनकी वापसी की जाएगी तथा ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि कोई भी बच्चा भविष्य में ऐसी परिस्थिति का शिकार होकर ड्राॅप आउट न कर पाए। यानी प्री प्राइमरी स्कूल से बारहवीं तक सुरक्षित और आकर्षक शिक्षा व्यवस्था की जाएगी। हर स्तर पर नियमित प्रशिक्षित शिक्षक तैनात किया जाएगा। एक समय में देश में शिक्षा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता फिर से स्थापित की जाएगी। ऐसा मौजूदा स्कूलों के उन्नयन से संभव हो पाएगा।
नई शिक्षा नीति-2020 एक प्रकार से सरकारी स्कूलों का कायाकल्प भी करेगी। ऐसा होने से लोगों को निजी स्कूल संचालकों की मनमानी का शिकार नहीं होना पड़ेगा। अर्थात् अभिभावकों की अपने पाल्यों को पढ़ाने की एक बड़ी चिंता समाप्त हो जाएगी।
इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्री (शिक्षा मंत्री) डाॅ. रमेश पोखरियाल ’निशक’ का कहना है कि नई शिक्षा नीति-2020 का एक उद्देश्य यह भी है कि देश में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह पाए। हम चाहते हैं कि देश का हर बच्चा शिक्षित ही नहीं, बेहतरीन शिक्षा और ज्ञान से युक्त हो। हम सरकारी स्कूलों में आकर्षक वातावरण तैयार कर रहे हैं।

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