संस्थानों को स्वायत्तता देंगे, पर दुरुपयोग न हो

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डाॅ. मोहन भागवत के साथ ’कोविड-19 के बाद शिक्षा का स्वरूप’ नामक कार्यक्रम में डाॅ. ’निशंक’ ने कहा

नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने कहा कि हम उच्च शिक्षा में लचीलापन लाएंगे। हम उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता देने के पक्षधर हैं, लेकिन वह आॅटोनाॅमी गुणवत्ता और शक्ति के दुरुपयोग की कीमत पर नहीं दी जाएगी। यह छूट केवल छात्र हित और नियमों के पालन के आधार पर दी जाएगी। एक विश्वविद्यालय 300 से अधिक काॅलेजों को संबद्धता नहीं दे पाएगा।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डाॅ. मोहन भागवत के साथ ’कोविड-19 के बाद शिक्षा का स्वरूप’ नामक कार्यक्रम में डाॅ. ’निशंक’ ने कहा कि अभी तक एक यूनिवर्सिटी द्वारा कई-कई महाविद्यालयों को संबद्धता दी जा रही थी। एक बार मुझे पता चला कि एक विश्वविद्याल से आठ काॅलेज एफिलेटेड हैं। यह स्थिति कई लिहाज से ठीक नहीं है। अब ऐसा नहीं हो पाएगा। हम शिक्षण संस्थानों को स्वायत्ता देना चाहते हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता बरकरार रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान है कि विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण के लिए एक आयोग बनेगा, जिसकी चार काउंसिल बनेंगी। एक का प्रशासनिक, दूसरी का पाठ्यक्रम, तीसरी का मूल्यांकन-मान्यता और चैथी का कार्य वित्त संबंधी होगा। चारों एक छतरी के नीचे रहेंगे। यह व्यवस्था सुविधाओं और जिम्मेदारी तय करने के दृष्टिगत की गई है।
कोरोना काल में घर बैठे छात्रों को आॅनलाइन शिक्षा दिए जाने के कार्य की सराहना करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस दौरान हम 25 करोड़ बच्चों तक पहुंचे। नेटसुविधाविहीन बच्चों को दूरदर्शन से जोड़ेंगे। हमने 100 टाॅप यूनिवर्सिटीज को आॅनलाइन सुविधा देने के लिए ओके कर रहे हैं। कोरोना काल में हमारे आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने गजब के शोध किए। छात्रों ने इस दौरान टेस्टिंग किट बनाईं।
डाॅ. ’निशंक’ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मात्र एक ड्राफ्ट नहीं है। हमें इसके निर्माण के साथ इसे लागू करने का रास्ता भी तैयार कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हाल में ऐलान किया है कि हम दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ इसे लागू करेंगे। हम चाहते हैं कि शिक्षा की पहुंच सभी तक हो। कोई बच्चा ड्राॅप आउट न करे। हम पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे को अन्य गतिविधियों से भी जोड़ रहे हैं। भारत पहला देश होगा, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमता के साथ पढ़ाया जाएगा। नई शिक्षा नीति हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन- डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल्ड इंडिया को साकार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर सरसंघ चालक डाॅ. मोहन भागवत ने प्रसिद्ध चिंतक और विचारक डाॅ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता की पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने भारत की आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि हम में कुछ तो बात है कि कोरोना के इस भयानक दौर में भी हम अन्य देशों की तुलना में कम प्रभावित हुए हैं। उस संकट काल में भारत ने अन्य देशों में अपने यहां निर्मित दवा भेजी, जबकि हमारे पास भी साधन कम थे। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर होना ही होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भी यह सपना है।

(डाॅ. वीरेंद्र बर्त्वाल)

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