मंत्री का बडबोलापन, छोटी सरकार के लिए मुसीबत।

देहरादून कोरोना के वैश्विक संकट के कारण देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से लौट रहे प्रवासियों को सरकार ने 14 दिन तक संस्थागत तथा होम क्वा क्वारंटाइन रहनेे के आदेश दिए हैं। प्रवासियों  का अपने घर लौटने का सिलसिला जारी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधानों को इसकी व्यवस्था का जिम्मा सौंपा गया है, इसी विषय पर त्रिवेंद्र सरकार के सुपर कॉप कहे जाने वाले राज्यमंत्री धन सिंह रावत से मीडिया के सवाल पूछे जाने पर उन्होंने प्रवासियों की संस्थागत एवं होम क्वारंटाइन की दशा में उनके खाने-पीने से लेकर बिजली पानी की सारी व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है के बयान ने क्वारंटाइन किए गए लोगों के द्वारा प्रधानों पर धौस जमाने के काम में आग में घी डाालने का काम किया है। जैसा होता दिख रहा है। कई जगहों से इस तरह की शिकायतें पुलिस/SDM से लेकर  जिला अधिकारी तक प्रधानों द्वारा की जा रही है। जबकि हालात इसके उलट हैं सरकार ने अभी तक इस तरह की व्यवस्था नहीं की है। सारा जिम्मा स्थानीय प्रशासन पर होने के बावजूद भार प्रधानों के कंधे पर आ टिका है। स्कूलों को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है अधिकांश जगहों पर विद्यालय के कर्मी नदारद हैं, प्रवासियों की संख्या बढ़ने से अब कई स्थानों पर टेंट गाड़ कर पर वासियों को ठहराया जा रहा है, इसमें भी भूमिका प्रधानों की ही है। हालांकि सभी जन प्रतिनिधि इस कार्य में स्वेच्छा से सरकार की मदद कर रहे हैं। चाहे सरकार इस काम के लिए धनराशि जारी करें या नहीं, इसकी परवाह किए बिना प्रधान भोजन एवं अन्य व्यवस्थाओं पर अपने संसाधनों से व्यवस्था बना रहे हैं, क्योंकि प्रवासी उसी के गांव का है, उसका अपना है, लेकिन मंत्री के इस बयान ने उनकी सेवा पर पलीता लगा दिया, पलीता ही नहीं उनके लिए आफत कर दी है। उन पर क्वारंटीन किए गए प्रवासी सरकारी व्यवस्था का हवाला देकर धौस जमाने लगे हैं।वाहवाही लूटने के चक्कर में धन सिंह ने छोटे सरकार की मेहनत पर तो पानी फेेेरा है। इससे ग्राम प्रधानों में भारी रोष पनपता दिख रहा है, जिसका गुस्सा भविष्य में धन सिंह को को झेलना पड़ सकता है।

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