संपूर्ण ज्ञान का भंडार होगा हर छात्र- शिक्षा नीति-2020

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बेसिक जानकारी हर विषय की होगी, बाद में एक विषय में विशेषज्ञता हासिल करेगा

देहरादून। ज्ञान, शिष्टाचार, संस्कार-व्यवहार….। यह भारत की पहचान रही है और इसकी आज बड़ी आवश्यकता भी महसूस की जाने लगी है। हम मैकाले की शिक्षा पद्धति पर अमल कर समाज की दृष्टि में पढ़-लिख रहे हैं, लेकिन इस पढ़ाई-लिखाई का देश के लिए तब तक कोई महत्त्व नहीं, जब तक उसमें नैतिकता, सद्व्यवहार, संस्कार इत्यादि न समाहित हों। शिक्षा नीति- 2020 में इस बड़ी कमी को पूरा करने का प्रयास किया गया है। यानी अब हमारी आने वाली पीढ़ी अपने विषय में पारंगत होने के साथ ही उस ज्ञान से भी संपृक्त होगी, जिसके कारण भारत का पूरे विश्व में डंका बजता रहा है।
नई शिक्षा नीति हमारे बच्चों के चरित्र निर्माण और बौद्धिकता बढ़ाने पर केंद्रित है। इसमें सभी व्यवस्थाएं छात्र हित में हैं। बच्चों को सर्वगुण संपन्न बनाने के प्रावधान किए गए हैं। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट बनाने में अनेकों रायशुमारियां की गई हैं। देश के नामी मनोवैज्ञानिकों के विचार लिए गए हैं। साहित्यकारों, वैज्ञानिकों से चर्चा की गई है। प्रसिद्ध शिक्षाविदों से सुझाव लिए गए हैं। पूरे देश में पाठ्यक्रम में समानता लायी गई है। इसका फायदा यह होगा कि कर्नाटक से कश्मीर और गुजरात से बंगाल जाकर पढ़ने वाले छात्र को कोर्स संबंधी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यहां तक कि छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा, व्यावहारिक ज्ञान, कला, संगीत, खेल संचार विज्ञान यानी कम्युनिकेशन साइंस, स्किल डेवलपमेंट इत्यादि की शिक्षा एक साथ ही प्रदान की जाएगी। इसके बाद छात्र अपनी रुचि, सामथ्र्य और बौद्धिकता के आधार पर एक विषय चुनकर उसमें विशेषज्ञता हासिल करने को स्वतंत्र होगा। यानी प्राथमिक आधार पर बच्चा हर प्रकार का ज्ञान हासिल करेगा। इसका लाभ यह होगा कि बच्चा किन्हीं परिस्थितियों के कारण अधिक न पढ़ पाने के कारण बड़ी नौकरी न भी कर पाए, लेकिन समाज के लिए तो उपयोगी बन ही सकता है। इस शिक्षा नीति की खासियत यह है कि आज तक चले आ रही तीन फैकल्टियां-कला (आर्ट), विज्ञान (साइंस) और वाणिज्य (काॅमर्स) अस्तित्व में नहीं रह पाएंगी, बल्कि छात्र अपना विषय खुद चुनेंगे।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरिया ’निशंक’ का कहना है कि नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करते समय बच्चे के मनोविज्ञान, करियर, चरित्र निर्माण इत्यादि का विशेष ध्यान रखा गया है। नई पीढ़ी के छात्र को देश का सर्वगुणसम्पन्न नागरिक बनाने की दिशा में कार्य किया गया है। अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञों से इस संबंध में चर्चा-परिचर्चा की गई है। डाॅ. ’निशंक’ के अनुसार इस नीति के निश्चित रूप से ऐसे परिणाम आएंगे,जिनकी आज देश को आवश्यकता है।

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