देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार में अहम ओहदे पर रहे काबिना मंत्री धन सिंह एक बार फिर एक्शन मोड में है। धामी की हार के बाद भी ताजपोशी से भाजपा का एक धड़ा खासा नाराज है जो कि मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारों की सूची मे था और उन्होंने धामी को को ठिकाने लगाने के लिए सभी जतन भी किये। धामी की हार के बाद जब फिर धामी को दोबारा सीएम की रेस में बताया गया तो उन्होंने हारे हुए व्यक्ति को सीएम बनाना परम्परा के खिलाफ होने जैसा वातावरण बनाया। इससे भी बात नहीं बनी तो अब असंतुष्ट अलग राह पर निकल पड़े है।
बताया जाता हैं कि धन सिंह किसी न किसी तरह असंतुष्ट क्षत्रपों से संपर्क साध रहे हैं। बताया जाता हैं कि शपथ ग्रहण के बाद धन सिंह ने पूर्व मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मदन कौशिक,वंशीधर भगत,विशन सिंह चुफाल तथा अरविन्द पांडे से गुफ्तगू की है।
प्रदेश में देर सबेर अध्यक्ष को लेकर भी निर्णय होना है। लेकिन यहाँ पर भी धन सिंह ने अपने धुर विरोधी विनोद चमोली और ज्योति गैरोला की पैरवी कर रहे हैं। आखिरी विकल्प के तौर पर उन्होंने महेंद्र भट्ट पर दाँव खेलने की तैयारी में है। त्रिवेंद्र के नेपथ्य में जाने के बाद धन सिंह अब असंतुष्टों के लीडर बनने की फिराक में भी है। इससे एक प्रेशर ग्रुप बनाकर धामी सरकार को दबाव मे लाया जा सकता है।
बताया जाता हैं कि सरकार गठन के कुछ ही घंटो के बाद विधायकों ने तेवर दिखाने भी शुरू कर दिए। शपथ के बाद धामी जब पहली बार हरिद्वार गये तो प्रदेश अध्यक्ष नदारद थे। वहीं विशन सिंह चुफाल भी कैबिनेट से पत्ता कटने के बाद नाराज है और सीएम के लिए सीट छोड़ने के सवाल पर वह टका सा जवाब देते मिले। माना जा रहा है की त्रिवेंद्र मदन और धन सिंह की तिकड़ी में धन सिंह अन्य असंतुष्टों को साथ लेकर धामी के लिए नई चुनौतियां खड़ी करने की फिराक में है। अभी धामी को 6 माह के भीतर चुनाव जीतकर आना है और जिस तरह से विरोधी शपथ के कुछ ही घंटो के बाद सक्रिय हो गये उससे भाजपा के लिए एक नया संकट मना जा रहा है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट् से सम्मानित
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