महिला संशक्तिकरण के क्षेत्र में आगे आया एआईसीटीई

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक ने की लीलावती महिला पुरस्कार की घोषणा

देहरादूनः ऑल इंडिया काउंसिल फाॅर टेक्निकल काउंसिल (एआईसीटीई) ने मंगलवार को प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री भास्कराचार्य की बेटी लीलावती के नाम से ’एआईसीटीई लीलावती-2020’ नामक महिला पुरस्कार आरंभ किया। छह क्षेत्रों में महिलाओं को प्रतिवर्ष यह पुरस्कार दिया जाएगा। महिला सशक्तिकरण के तहत दिए जाने वाले इस अवार्ड में पहले पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली धनराशि एक लाख, द्वितीय में 75 हजार तथा तृतीय पुरस्कार की धनराशि 50 हजार रुपये है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इसकी विधवत घोषणा की।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डाॅ. अनिल सहस्रबुद्धे की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में पुरस्कार की घोषणा करते हुए डाॅ. निशंक ने कहा कि एआईसीटीई ने हमारे समाज में नारी के महत्त्व और देश के विकास में महिलाओं के योगदान को ध्यान में रखकर इस पुरस्कार का आरंभ कर सराहनीय कार्य किया है। इससे मातृशक्ति को प्रोत्साहन और प्रेरणा मिलेगी। भारत में मातृशक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा और साहस का लोहा मनवा रही है। अवनी चतुर्वेदी, वर्तिका जोशी, कल्पना चावला, बछेंद्री पाल, संतोष यादव, दीपा मलिक, पीवी सिंधु इत्यादि महिलाओं ने अनेक क्षेत्रो ंमें शिखरों को छूकर कीर्तिमान गढ़े हैं। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं बढ़चढ़कर आगे आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में निरंतर नए-नए कदम उठा रहे हैं। सुकन्या धन योजना, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उड़ान योजना इत्यादि इसी का हिस्सा हैं।


डाॅ. नशंक ने कहा कि नारी संपूर्ण समाज को शिक्षित करती है, इसलिए एक-एक महिला का शिक्षित होना हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि स्त्री को प्रकृति ने करुणा, संवेदना दी है। उसके बिना हमारी सृष्टि और समाज की कल्पना निरर्थक है। नारी शक्ति का होना होना पुरुष के लिए महत्त्वपूर्ण है। एआईसीटीई ने महिला पुरस्कार आरंभ कर प्रकृति और ईश्वर का आभार व्यक्त किया है। भारत में ’यत्र नार्यस्तु पूजयंते, रमंते तत्र देवता’ के सिद्धांत के तहत स्त्री का सम्मान प्रमुखता से किया जाता रहा है। यह हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। हमारी संस्कृति हमें जड़ों से जोड़ती है, लेकिन मैकाले की शिक्षा पद्धति ने हमें हमारी जड़ों से दूर करने का प्रयास किया है, परंतु अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत हम पुनः अपनी जड़ों से जुड़ने जा रहे हैं। दुनिया को दर्शन, ज्ञान और मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने वाला भारत पुनः विश्वगुरु बनने के मार्ग पर है।
इस अवसर पर एआईसीटीई के वाइसचेयरमैन प्रो. एम.पी. पुनिया,अंकित कुमार श्रीवास्तव, प्रो. हिना, प्रो. शिखा कपूर, डाॅ. रुचिका, वसुधा कामथ इत्यादि उपस्थित थे।

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